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क्लीनिक में घुसकर स्टाफ ने सेलिब्रिटी महिला+बच्ची को किया परेशान, सिरफिरा होने के कारण मार नहीं खाया

Published 20 Sep 2022

Do you want to understand precisely the tendencies of this kind of psychopath, do you have the patience? You can study 04 types of cases in this 04 in 01 patient:- 1- An aggressive/hyperactive child. 2- A severe & violent drug addict. 3- A belligerent, fierce, cunning & dramatic layman (behaves as before nonviolent persons). 4- An innocent, comedian & naughty child (before them who treats him like him/ more aggressively). .... क्या आप इसतरह के मनोरोगी की प्रवृत्तियों को ठीक से समझना चाहते हैं, क्या आपके पास पर्याप्त धैर्य है? ..... About this personal experience: Part-7: Have you ever experienced...' You can also such situations, with patience like his mother.):-- उन्होंने (हमारे साथ काम करने वाले एक सिरफिरे कर्मचारी ने) एक संभ्रांत महिला और उनकी बच्ची को परेशान किया| दरअसल वो महिला एक सेलिब्रिटी भी हैं (वो पेशेंट के रूप में कुछ परमर्श लेने हमारे आरोग्यकेंद्र पर अपनी बच्ची के साथ आयी हुई थीं) | बच्ची रोने और काँपने लगी ... इसपर मैंने अपने सिरफिरे सहकर्मी रि.... भइया का विरोध किया; तो उन्होंने, मेरे लैपटॉप के कम्बो वायरलेस एडॉप्टर को तोड़ देने की धमकी देते हुए उसे जोर से ऊपर- नीचे हिलाया, एडॉप्टर का कवर खुलकर गिर गया. हमने अपना मन कड़ा करते हुए उन्हें जबरदस्ती चैम्बर के बाहर किया; वो पुनः दरवाजे को धक्का देकर 03 बार अंदर आये और हल्ला हंगामा किया अंततः मैंने उन्हें कुछ झटके से खींचकर बाहर किया। बच्ची लगभग 30 मिनट में थोड़ी शान्त हो पायी। उस दिन जब हमारे प्रॉपराइटर साहब से उनकी (रि... भइया की) भेंट हुई, तो उन्होंने रोते हुए बताया कि 'वैद्यजी ने हमें मारा' (दरअसल रि..भइया की किसी भी शैतानी से यदि मेरे जैसा कोई व्यक्ति इंकार कर दे, जो उन्हें सम्मान देता रहा हो, तो वे उस इंकार को 'मारना' कहते हैं, अगर मैं किसी दिन उनकी किसी शैतानी पर उनका हाथ पकड़ लेता था, तब भी चिल्लाते थे -'बइद जी, मारते हैं ।" मैं व्यक्तिगत तौर पर उनकी ज्यादतियों पर भी, उन्हें पुचकार कर या हल्की डाँट लगाकर समझाता रहा था, क्योंकि चार प्रकार के लोगों पर हाथ नहीं उठाने का मेरा सहज संस्कार रहा है-'बच्चा, वृद्ध, स्त्री और बीमार' मेरे अलावा सभी सहकर्मियों से रि.. भइया पिट चुके हैं, सिर्फ मैं ही उनका सॉफ्ट टारगेट था, क्योंकि शायद उन्हें यह विश्वास था कि किसी भी सूरत में मैं उन्हें नहीं पीटूंगा और मैंने उनके इस भरोसे का मान उस दिन भी रखा था; यद्यपि उस कारण से मुझे व्यक्तिगत रूप से भी आर्थिक व मानसिक नुकसान झेलना पड़ा था और अनेक पेशेंट्स को भी अनेकबार परेशान होते देखना पड़ा था, केन्द्र की छवि भी पहले से अधिक ही धूमिल हो रही थी, फिर भी मुख्यतः 03 कारणों से रि... को यथासाम्भव बर्दास्त करना चाहता था:- पहला कारण :- यदि ऐसा दिव्यांग बच्चा मेरे निजी परिवार का हिस्सा होता तो मैं क्या करता। कितनी पीड़ा होती हमारे परिजनों को? दूसरा कारण:- मैं योग का शिक्षक और विद्यार्थी भी हूँ, लोगों को योगदर्शन में बताए गए पंच कलेशों (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष, अभिनिवेश) से बचने और पंच यमों (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह) का पालन करने की सलाह देता रहा हूँ, अतः मुझे भी अधिकतम संयम रखना चाहिये। तीसरा कारण :- वे हमारे केन्द्र के मुखिया/Properiter (सेटलर/ प्रबंधक) के परम कृपा अथवा सहानुभूति के पात्र हैं, शायद रिं...के दुखी होने से वे भी दुखी हो जायेंगे। लेकिन अब पानी सिर के ऊपर से गुजर रहा है, अतः अब मरीजों के साथ उनकी ज़्यादती की घटनाओं को यथा सम्भव रोकना चाहता हूँ ।' लेकिन रि......भइया की शिकायत पर शायद हमारे....साहब (Hon'ble Properitor) को रि... भइया पर दया आ गयी; उन्होंने कह दिया- "जाओ तुम भी मारो" लेकिन इसबार रिं..भइया की हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि इसबार हमने कड़ा विरोध किया था। न सिर्फ उनका हाथ पकड़ा था अपितु जब वे चैम्बर और कुर्सीयों पर लात मारने लगे, मुझे चप्पल से पीटने की धमकी देने लगे, तब मैंने उनके हाथ को मोड़कर पीछे करते हुए उन्हें रोका था, बस मारना-पीटना ही शेष रह गया था, इसबार| खैर, उसके बाद भी उन्होंने हमें परेशान करना जारी रखा; दोस्ती से इंकार करने पर पुनः पुनः धमकियाँ देने लगे | फिर से मैंने उनका (रि... का) विरोध किया तो रि... जी मुझसे फिर से दोस्ती का प्रस्ताव देने लगे, लेकिन मैंने इंकार किया क्योंकि पहले भी वे दोस्ती करके परेशान करते रहे हैं, अचानक धोखा दे देते हैं, फिर दूसरे दिन भी उन्होंने हमारे साहब (Properiter) से वही शिकायत की तो शायद उन्हें बहुत बुरा लगा क्योंकि इसबार साहब ने उन्हें 03 बार कहा जाओ तुम भी मारो, जाओ तुम भी मारकर भाग जाओ.......| मुझे अपने साहब की इस प्रतिक्रिया से हल्की-सी हैरानी तो हुई, लेकिन अत्यधिक नहीं; क्योंकि हमारे अनोखे केन्द्र के लिये इस तरह के दृश्य कोई बहुत बड़ी बात नहीं हैं; समय-समय पर कुछ ख़ट्ठी-मीठी परीक्षाएँ वहाँ भी होती ही रहती हैं, कभी मेरे सहकर्मियों की, तो कभी मरीजों-खरीददारों (ग्राहकों की)। कभी कभार साहब को भी प्रति -परीक्षा देनी होती है, क्योंकि सभी लोग साहब की परेशानियों को नहीं समझ पाते हैं। दरअसल साहब ने कई बार बताया है कि 'एक गंभीर दुर्घटना के बाद सिर में चोट आने से उनकी (हमारे साहब की) याददास्त अचानक चली जाने बीमारी हो गयी है ।' अन्यथा साहब एक सम्मानित, ईमानदार, देशभक्त, कर्तव्यनिष्ठ व संपन्न नागरिक के रूप में जाने जाते हैं. जब कोई मरीज मुझसे प्रश्न करता है, तो समझाना पड़ता है, कि साहब दिल के बुरे नहीं हैं, एक दुर्घटना..... रि...भइया ने पहले भी मुझसे कट्टी, झगड़े व दोस्ती की है, लेकिन दोस्ती स्वीकारने के कुछ ही सेकेण्ड से लेकर घंटे भर के भीतर ही वे पीड़ा दायक व क्षतिकारक मज़ाक करने लगते हैं। Created by: Prasoon Vaidya, Triple Gold medalist, Yoga, Naturopathy, Martial Arts(Soke-Dai)

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